Explained: जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय?

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जयशंकर प्रसाद

 (30जनवरी 1889 - 15नवंबर 1937)

Explained: जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय?

 jayashankar prasad का जन्म काशी में हुआ था। वे 8th class तक ki  ही स्कूली शिक्षा प्राप्त कर पाए थे, लेकिन स्वाध्याय के माध्यम से उन्होंने संस्कृत, पाली, उर्दू और अंग्रेजी bhasha और साहित्य का गहन अध्ययन किया। इतिहास, दर्शन, धर्मशास्त्र और वे ek महान विद्वान the


 प्रसाद ji बहुत ही सज्जन, शांत और गंभीर veykti थे। वह हमेशा ईशनिंदा or  आत्म-प्रशंसा dono  से दूर rhte  था। वे बहुमुखी प्रतिभा के dhni  थे। मूल रूप se वे एक kavi थे, लेकिन उन्होंने कई साहित्यिक विधाओं जैसे नाटक, उपन्यास, कहानी, निबंध aadi  में उच्च गुणवत्ता की रचनाएँ ki 


 प्रसाद - साहित्य

 में राष्ट्रीय जागृति की आवाज प्रमुख है। प्रसाद ji ने यह कार्य प्राचीन bhart संस्कृति के गौरव ko समस्त साहित्य मेme, विशेषकर natko में किया। Unki कविताओं और कहानियों में  bhartiy संस्कृति or  जीवन के मूल्य परिलक्षित होते हैं। कविता के sath sath  प्रसाद ने कई साहित्यिक विधाओं जैसे नाटक, उपन्यास, कहानी संग्रह, निबंध आदि में लेखन कार्य किया है। उनकी प्रमुख रचनाएँ हैं - अजातशत्रु, स्कंदगुप्त, चंद्रगुप्त, राजश्री, ध्रुवस्वामी (नाटक); कंकाल, तितली, इरावती (अपूर्ण) (उपन्यास), आंधी, इंद्रजाल, छाया, प्रतिध्वनि और आकाशदीप (कहानी संग्रह), कविता और कला और अन्य निबंध (निबंध संग्रह), झरना, आँसू, लहर, कामायनी, कानन कुसुम, और प्रेमपथिक (कविताएं)।


Devsena ka geet  

प्रसाद के natak  स्कंदगुप्त se  लिया गया है। देवसेना मालवा के Raja  बंधुवर्मा ki बहन हैं। हूणों के आक्रमण से आर्यावर्त संकट me ha बंधुवर्मा समेत uas परिवार के सभी logo ko  शहादत मिली। शेष देवसेना अपने भाई के सपनों को पूरा करने और राष्ट्र की सेवा करने का संकल्प ले रही है। Dev सेना को जीवन me स्कंदगुप्त की chaht थी। लेकिन skndghupt malva के धनकुबेर की पुत्री (विजय) का sapna देखता tha अपने जीवन के aant में, स्कंदगुप्त देवसेना ko प्राप्त करना chahte है। लेकिन tab tak देवसेना वृद्ध परनदत्त के साथ आश्रम me एक गीत गाती है or  भीख माँगती है or mahadev की समाधि करती है। 


Jab स्कंदगुप्त अनुनय-विनय करने ke लिए तैयार nahi hota , तो स्कंदगुप्त जीवन bhar अविवाहित रहने का संकल्प lete ha  यहाँ देवसेना kahti ha - "हृदय की कोमल कल्पना को सोने दो! क्या तुम्हारे लिए Rona aachchhi  बात है जिसके लिए जीवन me कोई संभावना nhi hai, जो दरवाजे par लौट आया था? Aaj भविष्य की खुशी, आशा or  जीवन ki  आकांक्षा - me  सबसे ज्यादा हूं।" मैं चली जाती हूँ", fir वह गीत गाती है - आह! दर्दनाक विदाई! देवसेना का गीत कविता me , देवसेना, अपने जीवन par चिंतन करते हुए, अपने अनुभवों me  प्राप्त दर्दनाक क्षणों ko  yad कर रही है। Jiva  के इस मोड़ पर यानि जीवन ki sham को वह अपनी जवानी ki  गतिविधियों को याद कर rhi ha। वह अपनी javani की गतिविधियों को bharm से किए गए कर्मों की श्रेणी में रखती है or  उस समय किए गए कुकर्मों के पश्चाताप me उसकी आंखों से आंसू बह रहे हैं। वह अपनी pyashi आंखों को देखती है har koi उसके आसपास or  खुद को उनसे बचाने की कोशिश करता है। Fir bhi, उसके जीवन का धन क्या है, सारी कमाई, वह इसे nhi bacha saki  यह विडंबना है, यहाँ दर्द है प्रलय देवसेना के जीवन रथ पर सवार है स्वयं। उसने अपनी  vrhman कमजोरियों or  हार की निश्चितता के बावजूद प्रलय ka मुकाबला किया है। गीत के शिल्प में रचित, यह कविता दर्द के क्षणों me मनुष्य or प्रकृति ke bich संबंधों को व्यक्त karti ha


दूसरा श्लोक कॉर्नेलिया का geet prasaad ke chandragupt naatak ka ek प्रसिद्ध गीत है।  korneliya sikandarके सेनापति सेल्यूकस ki beti  है। सिन्धु के tath पर यूनानी छावनी ke pas एक वृक्ष के नीचे बैठे। Vah khti ha 'सिंधु का यह खूबसूरत समुद्र tat मेरी आंखों के सामने eka नई film पेश kar रहा है। इस वातावरण से धीरे-धीरे उठ रहा प्रशांत स्निग्ध की तरह हृदय में प्रवेश कर रहा है। एक लंबे सफर के बाद me  वहां पहुंचा हूं जहां के liye nikala tha । यह प्रकृति कितनी सुंदर है, वह! क्या वह आज भारतीय संगीत पाठ देखना भूल गई?" फिर वह यह गीत गाती है - 'अरुण यह प्यारा देश हमारा है!' इस गीत में भारत की vishishtata aur pahachaan ke roop mein hamaare desh ke gaurav aurप्राकृतिक सौंदर्य को प्रस्तुत किया गया है। पक्षी भी अपने प्यारे घोंसले की कल्पना करके उड़ते हैं कि यह प्यारा भारतवर्ष किस दिशा में है। gyat ka samarthan or लहरों का समर्थन करते हुए भी धार हमारे देश की विशेषता है, सही मायने में यही भारत देश की पहचान है।

 

आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद!

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